"
तुम अपने पापा को बोलो कि हम उपर वाले
फ्लैट में रहेंगे | आखिर तुम भी तो हकदार
हो घर की | तुम्हारे पापा के न रहने पर घर तो तुम्हें ही मिलेगा |...तुम समझती
नहीं हो | ..हम दोनों की तनख्वाह इतनी कम है कि घर का भाड़ा देना मुश्किल हो जाता
है | "
सुरुचि का भाई
नहीं था | यथाशक्ति बेटी के विवाह में खर्च करने के बाद अपने मकान में पिता अपनी
जीवन संध्या काट रहे थे | ऊपर का फ्लैट किराये में दिया गया था |
आये दिन घर
में झगड़ा होता था | बेटी की बीमारी का खर्च पिता उठा रहे थे | इसी बीच सुरुचि एक
बेटे का माँ बन गयी | सुरुचि की नौकरी तो चलती रही साथ में
घर के अंदर झगड़ा भी चलता रहा |
सुरुचि के पति की नौकरी भी छुट गयी | परेशान पिता ने बेटी को अपने घर में रख लिया
|
आखिर सुरुचि
का अपने पति से तलाक हो ही गया |
सुरुचि का पति
गाँव चला गया |
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