गरीब
पढ़ी लिखी प्रतिभा को पिता ने अपने पास अपने घर में रख लिया था | एक ही पुत्री थी प्रतिभा की | पिता ने सोंचा ठीक है
नतिनी तो ब्याह कर अपने घर चली जायेगी | उनको
सहारा रहेगा प्रतिभा का और प्रतिभा का भी जीवन कट जायेगा | नौकरी तो प्रतिभा करती
ही है |
आदमी जो
सोंचता है वह होता नहीं है |
पिता की
मृत्यु हो गयी | लोकलाज हेतु माता की
देखभाल हेतु विदेशी पुत्रों ने सहायिका रख
ली घर में |
कानून घर की
हकदार बहन किसी को फूटी आँखों न सहायी |
" यहां
क्यों रहती है प्रतिभा ?....उसकी बेटी तो इतने बड़े अफसर की पत्नी है |...बेटी के
पास रहना चाहिए न |.....अच्छी मुसीबत है घर में |.....इसके रहते हम घर बेच भी नहीं
सकते |....." भाई आपस में
खुसपुसाते |
निरीह माँ तो
बेटों आश्रित ही थी |
माँ की मृत्यु
के बाद घर बिक सकता था | करोड़ की संपत्ति के घर पर बहन बैठ गयी थी |
" कुछ तो
करना होगा ...."
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