वह
अटेंडेंट था | अस्पताल में भर्ती बीमार
जब डिस्चार्ज होता था तब घर के सदस्य उसे अपने घर ले जाते थे | बीमार की मृत्यु हो
गयी तो बीमार के कपड़े लत्ते उसे दान में
मिल जाते थे |
करीब एक वर्ष
बाद भेंट हुयी उससे |
" और
कैसे हो ? "
" ठीक
हूँ | आजकल एक सौ दस वर्ष के बुड्ढे का काम पकड़ा है | "
मैंने
मुस्कुरा कर उसका समर्थन किया |
No comments:
Post a Comment