पंडित और चोर
रात का समय था | दो चोर रात में चोरी करने निकले थे | रास्ते में उन्हें एक पुजारी मिला |
पुजारी ने पूछा---- तुमलोग कहाँ जा रहे हो ?
पहले चोर ने कहा --- हमलोग चोरी करने जा रहे हैं |
पुजारी कुछ न बोला |
थोड़ी देर बाद दूसरा चोर पहले चोर के कान में फुसफुसाया ---- यह सबको बता देगा !
पहला चोर प्रत्युत्तर में फुसफुसाया --- ऐसा करते हैं इसे भी साथ ले लेते हैं |
पंडित को दोनों चोरों ने धमकाया --- तू भी चल हमारे साथ चोरी करने नहीं तो हम तुझे मारेंगे |
मरता क्या न करता अब पंडित भी चला साथ में चोरी करने |
एक धनी व्यक्ति के घर वे घुसे | दोनों चोरों ने बहुमूल्य वस्तुओं का जल्दी जल्दी दो गट्ठर बना लिया |
इधर पंडित भी घर में घूम रहा था | एक जगह उसे सुन्दर सा शिव- पार्वती का मंदिर दिखा | वह खुश हो कर वहीं बैठ गया और पूजा करने लगा | पूजा खतम होने पर उसने घंटी बजायी |
चोर !...चोर !..----
चिल्लाते हुए घर का मालिक उठ गया | घर में अफरा तफरी
मच गयी | चोरों की खूब पिटाई हुई |
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