Tuesday, July 24, 2012

छींटाकसी - १


" अरे ! आज नहीं आयीं मिसेज शर्मा ? "
" आपको नहीं मालुम ?.....अरे ! वो तो एक महीने की छुट्टी ले कर गयीं हैं | उनकी बहू को डिलीवरी होनेवाली है | "
" क्या बात है !...सास ऐसे सेवा करे तो क्या कहना ? "
" अरे करेगी क्यों नहीं ! नहीं तो बेटा भी पूछेगा | "
" हां सही बात |..... मिसेज नेगी के पति जब मरे थे उनकी बहू तेरही के दिन आयी थी दो दिन के लिये | छुट्टी नहीं मिली थी उसे | "
" भई ! दिन तो बहुओं के हैं | हमारा ज़माना गया | "
" अरे !..चलिए भी कम्प्युटर पर | नहीं तो अभी बॉस जी टपक पड़ेंगे | "

सुनी सुनायी - १

पंडित और चोर 


रात का समय था | दो चोर रात में चोरी करने निकले थे | रास्ते में उन्हें एक पुजारी मिला |
पुजारी ने पूछा---- तुमलोग कहाँ जा रहे हो ?
पहले चोर ने कहा --- हमलोग चोरी करने जा रहे हैं |
पुजारी कुछ बोला |
थोड़ी देर बाद दूसरा चोर पहले चोर के कान में फुसफुसाया ---- यह सबको बता देगा !
पहला चोर प्रत्युत्तर में फुसफुसाया --- ऐसा करते हैं इसे भी साथ ले लेते हैं |
पंडित को दोनों चोरों ने धमकाया --- तू भी चल हमारे साथ चोरी करने नहीं तो हम तुझे मारेंगे |
मरता  क्या करता अब पंडित भी चला साथ में चोरी करने |
एक धनी व्यक्ति के घर वे घुसे | दोनों चोरों ने बहुमूल्य वस्तुओं का जल्दी जल्दी दो गट्ठर बना लिया | इधर पंडित भी घर में घूम रहा था | एक जगह उसे सुन्दर सा शिव- पार्वती  का मंदिर दिखा | वह खुश हो कर वहीं बैठ गया और पूजा करने लगा | पूजा खतम होने पर उसने घंटी बजायी |
चोर !...चोर !..---- चिल्लाते हुए घर का मालिक उठ गया | घर में अफरा तफरी मच गयी | चोरों की खूब पिटाई हुई |