पत्नी घर में गुपचुप बनाती थी और पति बेचता था दिन में एक पेड़ के नीचे | रात में उसका ठेला घूमता था कॉलोनी की हर सड़क से | उसकी बिक्री देख कर लोग अचंभित होते थे | महिलाओं और बच्चों का तो झुण्ड लग जाता था उसके ठेले पर | क्यों न हो ? डाक्टर साहब भी तो खाते थे सपरिवार गुपचुप |
एक दिन रात में मेन् रोड से
घर लौटते समय ट्रक के धक्के से घटनास्थल
पर ही उसकी मौत हो गयी | जिसने सुना वही दुखी हुआ | धीरे धीरे लोग उसे भूल चले | उसके लड़के का स्कूल छूट गया | परिवार कैसे चलता ?
अब माँ गुपचुप बनाती है बेटा बेचता है पेड़ के नीचे खड़े हो कर | ग्राहकों की संख्या भी बढ़ गयी है | वह हर सड़क नहीं घूमता है | एक दूसरा गुपचुपवाला घूमता है सड़क पर |
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