Thursday, April 19, 2012

नजरिया ( लघु कथा )

१९७२

श्रीमती जी ने दूध माप कर बर्तन में डालती हुयी दूधवाली से पूछा - तेरी लडकी की शादी ठीक ठाक हो गयी ?
--- हाँ बीबी जी |
--- दामाद क्या करता है ?
--- मास्टरी करता है |
--- मैट्रिक पास करके ?
--- नहीं जी ! बी. ए. पास कर के |
मारे आश्चर्य के श्रीमती का मुंह खुला का खुला रह गया |
--- उसके पास जमीन जायदाद है ?
--- तीस बीघा जमीन है |
--- क्या क्या दिया लड़की को ?
--- तीन ठो चांदी की सिकड़ी |
--- तुम लोग रूपया नहीं देते ?
--- नहीं बीबी जी |
--- हम लोगो का तो शादी पर बहुत खर्चा होता है | हमने तो अपनी लड़की को कंगन , चूडियाँ , हार , अंगूठी , रेडियो  
   सोफा , पलंग और ऊपर से तीन हजार रुपया भी दिया है |
--- तब तो आपका दामाद बहुत पढ़ा लिखा होगा | बड़े बड़े खेत खलिहान होंगे उसके पास|
श्रीमती जी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया | दूधवाली से अपना बरतन पकडती हुयी बोली --- आज तो दूध पतला लग रहा है |

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